सिवान, 17 जनवरी, 2024
भगतसिंह जनअधिकार यात्रा अपने दूसरे चरण में आज शाम उत्तर प्रदेश से बिहार के सिवान जिले में पहुंची। इसके उपरान्त गोपालगंज मोड़ से जेपी चौक से होते हुए बबूनिया रोड तक पदयात्रा निकाली गयी। इस दौरान नुक्कड़ सभाएं भी आयोजित की गयीं।
आज पूरे देश में फ़ासीवादी शक्तियां अपने साम्प्रदायिक एजेण्डे को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं, बिहार भी इससे अछूता नहीं है। एक तरफ जहाँ जनता महंगाई, बेरोज़गारी और भुखमरी से परेशान है, तो दूसरी ओर इन सवाल से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा व संघ नित नये प्रपंच रहा है। राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा के बहाने भाजपा वोटों का ध्रुवीकरण कर, अपने वोट बैंक का आधार पुख़्ता कर रही है।
बिहार में वैसे तो भाजपा सत्ता में नहीं है, परंतु फिर भी संघी लंपट तत्व सूबे में अपने आकाओं के साम्प्रदायिक एजेण्डे को लागू करने में जुटे हुए है। जनता भी इनके षड्यंत्र को समझ रही है, आज भाजपा के बड़े नेताओं से लेकर तमाम छुटभैय्ये नेता घर-घर जाकर राम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा का आमन्त्रण पत्र व अक्षत बाँट रहें हैं, किन्तु अगर इनसे बेरोज़गारी व महंगाई पर सवाल किया जाये तो इन धर्मध्वजाधारियों की घिग्घी बंध जाती है।
आज जिस सिवान जिले से यह यात्रा गुजरी, वह बेरोज़गारी की मार झेल रहा है। रोज़गार की तलाश में युवाओं की एक बड़ी आबादी को दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों का रुख करना पड़ता है या फिर नाम मात्र की दिहाड़ी पर ईंट-भट्ठों पर काम या खेतिहर मज़दूरी करनी पड़ती है।
सिवान जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत भी खस्ता है। 33 लाख से ज़्यादा की आबादी वाले सिवान जिले में केवल तीन सरकारी अस्पताल हैं। ऐसी स्थिति के कारण इस जिले के लोगों को इलाज़ के लिए वाराणसी और पटना का सफ़र करना पड़ता है।
राज्य में सत्तासीन जदयू-राजद सरकार, सुशासन के भले ही कितने ढोल पीट ले, परन्तु धरातल पर मौजूद सच्चाई को नहीं छुपा सकती है। शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों पर पिछड़ने के बावजूद, इस तथाकथित सुशासन वाली सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। उल्टे जब कभी भी सूबे की जनता अपने अधिकारों की मांग के लिए सड़कों पर उतरती है, तो राजद जदयू सरकार उनपर दमन का पाटा चलाने में पीछे नहीं रही है। इसका उदाहरण पिछले साल आंगनवाड़ीकर्मियों की हड़ताल के दौरान हम सबने देखा है।
स्पष्ट है कि देश में मौजूद साम्प्रदायिक ख़तरे से निपटने के लिये इन चुनावबाज़ पार्टियों के आसरे नहीं रहा जा सकता है। आज आश्यकता है, नये राजनीतिक विकल्प के निर्माण के लिए संगठित हुआ जाये। इसलिए भगतसिंह जनअधिकार यात्रा निकाली जा रही है।
आने वाले दिनों मे भगतसिंह जनअधिकार यात्रा बिहार के अन्य जिलों मुज़फ्फरपुर, पटना व आरा से गुज़रेगी। आप सबसे अपील है कि इस यात्रा के सहयात्री बनें।