हमारा माँगपत्र
1. रोज़गार को मूलभूत अधिकार के तौर पर संविधान में शामिल किया जाये। भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी योजना (बसनेगा) को संसद में पारित करो, जिसके तहत सभी काम करने योग्य नागरिकों को नौकरी देना सरकार की जिम्मेदारी हो और ऐसा न कर पाने की सूरत में कम-से-कम रु. 10,000 बेरोज़गारी भत्ता दिया जाये। सभी राज्य सरकारों से माँग है कि वे अपनी-अपनी विधानसभाओं में ऐसे रोज़गार गारण्टी कानून को पारित करें। जो शासक पार्टी इससे इंकार करती है, वह स्पष्ट तौर पर जनविरोधी है।
तात्कालिक तौर पर, सभी रिक्त सरकारी पदों पर भर्ती की जाये, उसके लिए आवश्यक परीक्षाओं का आयोजन किया जाये, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोका जाये और देश के विकास हेतु शिक्षा, चिकित्सा, अवरचना निर्माण, आवास आदि की सुविधाओं के विस्तार के लिए नयी रिक्तियाँ निकाली जायें और उन पर भर्तियाँ की जायें। ‘अग्निवीर’ योजना को तत्काल रद्द किया जाये। पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जाये।
2. सभी श्रम कानूनों को सख़्ती से लागू किया जाये, नये प्रस्तावित लेबर कोड्स को रद्द किया जाये, 8 घण्टे के कार्यदिवस, साप्ताहिक अवकार, डबल रेट से ओवरटाइम, यूनियन बनाने के अधिकार, सुरक्षा प्रावधानों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाये, अनौपचारिक क्षेत्र के कल-कारखानों को सरकारी विनियमन में लाया जाये, नियमित प्रकृति के कामों पर ठेका प्रथा को समाप्त किया जाये, और श्रम कानूनों के उल्लंघन को आपराधिक श्रेणी में लाकर दण्डनीय बनाया जाये।
3. महँगाई पर नियन्त्रण के लिए जमाखोरी, भविष्य व्यापार (फ्यूचर्स ट्रेड) व सट्टेबाज़ी पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया जाये जिसके तहत ये दण्डनीय अपराध घोषित किये जायें, बुनियादी वस्तुओं व सेवाओं के वितरण की व्यवस्था का राष्ट्रीकरण किया जाये और सरकार उसे पूर्णत: अपने हाथों में ले, खाद्यान्न की कीमतों को बढ़ाने वाली लाभकारी मूल्य की व्यवस्था को समाप्त किया जाये, सरकारी ख़रीद के लिए औसत लाभ सुनिश्चित करने वाली कीमत निर्धारित की जाये और इस ख़रीद की व्यवस्था तक ग़रीब व मँझोले किसानों की पहुँच को सुनिश्चित किया जाये, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाकर सभी नागरिकों को भोजन मुहैया कराया जाये।
महँगाई को कम करने का एक अहम रास्ता है कि अप्रत्यक्ष करों को पूर्णत: समाप्त किया जाये और सम्पत्ति के आधार पर प्रगतिशील प्रत्यक्ष करों की व्यवस्था को मज़बूत किया जाये। हम मेहनतकश लोग इस देश में सम्पदा सृजित करने में अपनी मेहनत से पहले ही अपना योगदान दे चुके होते हैं। अप्रत्यक्ष करों द्वारा हमें सरकार लूटती है। यदि अप्रत्यक्ष कर न हों तो पेट्रोल-डीज़ल-रसोई गैस आदि की कीमत तत्काल आधी या एक-तिहाई हो जायेगी और हर आवश्यक वस्तु और सेवा ही सस्ती हो जायेगी। लेकिन मोदी सरकार और इसके पहले की कांग्रेस सरकारें लगातार प्रत्यक्ष करों को घटाती जा रही हैं, जिसका लाभ अमीरों को मिलता है और अप्रत्यक्ष करों को बढ़ाती जा रही है, जिसका नुकसान सबसे ज़्यादा ग़रीबों को होता है।
4. शिक्षा को मूलभूत अधिकार के तौर पर संविधान में शामिल किया जाये। जनविरोधी नयी शिक्षा नीति – 2020 को रद्द किया जाये। सभी नागरिकों के लिए प्राथमिक से लेकर उच्चतर तक समान एवं निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया जाये और शिक्षा के निजीकरण को समाप्त किया जाये। शिक्षा को शारीरिक श्रम से जोड़ा जाये, सैन्य प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाया जाये, उसे वैज्ञानिक व तार्किक बनाया जाये और उसे पूर्ण रूप से जनवादी और सेक्युलर स्वरूप दिया जाये।
5. ‘सर्वधर्म समभाव’ के नकली सेक्युलरिज़्म के स्थान पर सच्चे सेक्युलर राज्य को सुनिश्चित करने के लिए एक कानून लाया जाये जिसके तहत किसी भी राजनीतिक नेता द्वारा किसी भी धर्म, समुदाय अथवा आस्था का सार्वजनिक जीवन में किसी भी रूप में उल्लेख करना, उसका इस्तेमाल करना दण्डनीय अपराध हो। सरकार हर प्रकार के धार्मिक कार्य से अपने आपको पूर्ण रूप से अलग करे, चाहे वह किसी भी धर्म से सम्बन्ध रखता हो। सभी स्कूलों, कॉलेजों में, सरकारी विभागों आदि में किसी भी धर्म के प्रतीक, चिह्न अथवा प्रार्थना को प्रतिबन्धित किया जाये।
6. न सिर्फ अस्पृश्यता (छुआछूत) को बल्कि किसी भी प्रकार से या किसी भी रूप में जातिगत भेदभाव को दण्डनीय अपराध घोषित करने हेतु संविधान में संशोधन किया जाये। जातिगत आधार पर संगठन बनाने, संस्थाएँ बनाने, वैवाहिक विज्ञापन आदि पर पूर्ण रोक हो।
7. तमाम चुनावी दलों के नेताओं व सरकार द्वारा होने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लगायी जाये और इसके लिए जनता द्वारा चुनी गयी जनकमेटियों की देखरेख में इनके पब्लिक ऑडिट व जाँच की व्यवस्था की जाये। तमाम जाँच व निगरानी संस्थाओं को न सिर्फ सरकार के नियन्त्रण से बाहर किया जाये, बल्कि उनकी जवाबदेही इन जनकमेटियों के प्रति सुनिश्चित की जाये।
8. सभी नागरिकों को आवास का मूलभूत अधिकार दिया जाये। इसके लिए विशेष कानून बनाया जाये और राजकीय आवास की सार्वभौमिक व्यवस्था की जाये, जहाँ मकान को बेचने-ख़रीदने, सम्पत्ति की ख़रीद-फ़रोख़्त में सट्टेबाज़ी आदि पर पूर्ण रोक हो।
9. स्त्रियों व पुरुषों को समान काम के लिए समान वेतन हेतु सख़्त कानून बनाया जाये। स्त्रियों से हर रूप में सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए आवश्यक सख़्त कानून बनाये जायें, हालाँकि सिर्फ कानूनों से ही लैंगिक असमानता समाप्त नहीं हो सकती, जब तक कि समूचा सामाजिक-आर्थिक ढाँचा ही न बदला जाये।
10. ग़रीब व मँझोले किसानों (2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले) के लिए बीज, खाद, बिजली आदि पर सब्सिडी की समुचित व्यवस्था के लिए अमीर वर्गों पर विशेष कर लगाये जायें। उनके लिए सिंचाई की व्यवस्था के व्यापक नेटवर्क के निर्माण की जिम्मेदारी सरकार अपने हाथ में ले और उनके लिए आसान शर्तों और कम ब्याज़ दर वाले संस्थागत ऋण की व्यवस्था की जाये ताकि वे धनी फार्मरों, आढ़तियों, व्यापारियों, सूदखोरों आदि से ऊँची ब्याज़ दर पर कर्ज़ लेने की मजबूरी से आज़ाद हो सकें। तात्कालिक तौर पर, मनरेगा योजना के तहत बजट आबण्टन को बढ़ाया जाये, उसके तहत पूरे साल के रोज़गार का अधिकार दिया जाये और कम से कम तय न्यूनतम वेतन जितनी राशि का भुगतान किया जाये।
11. धार्मिक व जातिगत वैमनस्य भड़काने, हिंसा व ‘मॉब लिंचिंग’ आदि में संलग्न हर प्रकार के संगठन, दल आदि पर प्रतिबन्ध लगाया जाये, उन्हें आतंकवादी संगठन घोषित किया जाये और उनके नेताओं-कार्यकर्ताओं पर तत्काल कार्रवाई की जाये।