बिना हवा न पत्‍ता हिलता है ! बिन लड़े न कुछ भी मिलता है !!

साथियो!

देश के मौजूदा हालात चीख-चीखकर बता रहे हैं कि देश की आज़ादी के 75 सालों बाद भी समानता और न्याय पर टिका वह समाज नहीं बना है जिसका सपना शहीदेआज़म भगतसिंह और उनके साथियों ने देखा था। भगतसिंह ने कहा था – “कांग्रेस की लड़ाई का अन्त किसी न किसी समझौते या असफ़लता में होगा। इसका परिणाम यह होगा कि गोरे साहब चले जायेंगे और भूरे साहब राज करेंगे। उन्होंने लिखा कि भारत सरकार का प्रमुख लॉर्ड रीडिंग की जगह यदि पुरुषोत्तम दास ठाकुर दास हों, तो इससे जनता को क्या फर्क पड़ेगा?” आज आप कांग्रेस की जगह ‘सभी धन्‍नासेठों की पार्टियाँ’ लिख दें, तो शहीद भगतसिंह का यह उद्धरण एकदम प्रासंगिक हो जाता है।

आज इन क्रान्तिकारी शहीदों का यह सपना हमारे सामने सवाल के रूप में खड़ा है। उन्होंने जिस लड़ाई को शुरू किया था, उसे अंजाम तक पहुँचाना हमारी ज़िम्मेदारी है।

शुरुआत कहाँ से की जाये? यह सबसे अहम सवाल है। शुरुआत करनी होगी हमें अपनी रोज़मर्रा की जिन्‍दगी से। हमारे बुनियादी अधिकारों से। भगतसिंह ने कहा था जो सरकार जनता को उसके बुनियादी अधिकारों से वंचित करे, उसे उखाड़ फेंकना जनता का कर्तव्‍य है। यदि हमें शिक्षा, रोज़गार, चिकित्‍सा, आवास, सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा, जनवादी अधिकार, सच्‍चा सेक्‍युलरिज्‍म और जनपक्षधर संस्‍कृति और मूल्‍य देने में मौजूदा सरकार और व्‍यवस्‍था नाकाम है, तो हमें उसे हटाकर एक नयी जनपक्षधर व्‍यवस्‍था का निर्माण करना होगा जिसमें उत्‍पादन, राज-काज और समाज के पूरे ढाँचे पर उत्‍पादन करने वाले मेहनतकश लोगों का नियन्त्रण हो और फैसला लेने की ताक़त मेहनतकशों की लोकस्‍वराज्‍य पंचायतों के हाथों में हो।

यह दूरगामी लक्ष्‍य है। इस दूरगामी लक्ष्‍य की ओर आगे बढ़ने की शुरुआत अपने इन अधिकारों के लिए मौजूदा सरकार और व्‍यवस्‍था से संगठित और एकजुट संघर्ष के साथ करनी होगी। इसी संघर्ष के लिए जनता को जगाने के लिए भगतसिंह जनअधिकार यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा के तहत हम कुछ बुनियादी महत्‍वपूर्ण माँगों को उठा रहे हैं, उनके बारे में जनता को जगा रहे हैं, उसके लिए संघर्ष के वास्‍ते जनता को गोलबन्‍द और संगठित कर रहे हैं। यह यात्रा कई चरणों में निकाली जायेगी, जिसके तहत गाँव-गाँव, नगर-नगर यात्रा टोलियाँ जनता के बीच जायेंगी और एक नयी क्रान्ति की अलख जगायेंगी। आपकी भागीदारी इसमें बेहद ज़रूरी है। यह आपकी यात्रा है, आपके अधिकारों के लिए है।

 

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