गाज़ीपुर, 15 जनवरी, 2024।
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एक ऐसे दौर में भगतसिंह जनअधिकार यात्रा निकाली जा रही है जब भाजपा सरकार और संघ परिवार पूरे देश को साम्प्रदायिक रंग में रंगने की कोशिश में लगा हुआ है। यात्रा जिन इलाक़ों से होकर गुज़र रही है उन इलाक़ों में भाजपा और संघ परिवार द्वारा प्रायोजित अक्षत बांटने और कलश यात्रा निकालने के कार्यक्रम किए जा रहे हैं या करने की तैयारी चल रही है।
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आज गाजीपुर में यात्रा पहुंची तो यात्रियों की बातों को सुनकर एक महिला ने कहा कि “अब मोदी ना मिलिहैं, मोदी चाउर बांटै गईने” (अब मोदी नहीं मिलने वाले, मोदी अक्षत बांटने गये)। एक दूसरी महिला ने कहा कि “जबले वोटवा वाली मशीनिया ना हटी, मोदी ना जइहैं” (जब तक ईवीएम नहीं हटेगी, तब तक मोदी नहीं हारेगा)। ज़ाहिर है कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपने जीवन की स्थितियों से सच्चाई को समझ रहा है। भगतसिंह जनअधिकार यात्रा इस सच्चाई को देश के कोने-कोने तक ले जायेगी और देश की आम मेहनतकश जनता को उनके असली सवालों पर लामबन्द करेगी। इसी संकल्प के साथ निकला भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का कारवां आज 37वें दिन उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर जिले में पहुंचा। ग़ाज़ीपुर में यह यात्रा बहादुरगंज, कासिमाबाद होकर गंगौली पहुंची जो प्रख्यात साहित्यकार राही मासूम रज़ा का गांव है। एक ऐसे दौर में जब साम्प्रदायिक फ़ासीवादी ताक़तें देश की सत्ता में बैठी हुई हैं, राही मासूम रज़ा की जन्मस्थली का उपेक्षित होना देखकर यात्रियों को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। आज की यात्रा का समापन अलावलपुर अफगा में हुआ।
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