बनारस, 9 जनवरी, 2024।
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यात्रा के तहत लोक समिति आश्रम, नागेपुर (बनारस) में जनशिक्षिका फ़ातिमा शेख़ की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम!
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बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में जनसभा और जुलूस का आयोजन!
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बनारस की मेहनतकश जनता, छात्रों-युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यात्रा का किया स्वागत !
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भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का 31वाँ दिन!
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भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का उत्तरप्रदेश में पाँचवाँ दिन था। पहली पाली में यात्रा के तहत लोक समिति आश्रम, नागेपुर (बनारस) में जनशिक्षिका फ़ातिमा शेख़ की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सबसे पहले नागेपुर गाँव के युवाओं और प्रबुद्धजनों ने यात्रा जत्थे का स्वागत किया और हमारे प्रयास की सराहना की। कार्यक्रम में मंच संचालन नन्दलाल जी ने किया। शिवा ने फ़ातिमा शेख़ की विरासत पर रोशनी डाली। प्रसेन ने भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के लक्ष्यों-उद्देश्यों पर बात रखी। प्रेरणा कला मंच के द्वारा गीतों और नाटकों की ख़ूबसूरत प्रस्तुति की गयी। ग्राम प्रधान मुकेश जी, पंचमुखी जी और श्यामसुन्दर जी ने कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय योगदान दिया।
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शाम की पाली में यात्रा जत्था बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) पहुँचा। यहाँ कई जगहों पर नुक्कड़ सभाएँ की गयीं और पूरे कैम्पस में ज़ोरदार नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला गया। इसके बाद शहर के भगवानपुर, छित्तूपुर, शीरगेट के पूरे इलाके में यात्रा निकाली गयी। बनारस के छात्रों-युवाओं और आम जनता ने यात्रा का भरपूर समर्थन किया।
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बनारस, 10 जनवरी, 2024।
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शिक्षा-रोज़गार के बुनियादी अधिकार के लिए संघर्ष का क्रान्तिकारी संकल्प और मज़दूर-छात्र-कर्मचारी एकता का नारा कल वाराणसी की सड़कों पर गूंज उठा। आज जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में जनता के बीच मन्दिर-मस्जिद के मुद्दों को उछाला जा रहा है, तब वाराणसी की जनता सड़कों पर उतरकर अपने बुनियादी मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रही है। जनता के मौजूदा हालात की सच्चाई को आज फ़ासीवादी ताक़तों का कोई भी नकली प्रचार दबा नहीं सकता है। वाराणसी में भी आये दिन इन सच्चाइयों से हम मुख़ातिब होते रहते हैं। परसों ही यहाँ एक ग़ैर-क़ानूनी गैस फ़िलिंग शॉप पर आग लग गयी जिसने दो बच्चों की जान ले ली। आम जनता के असुरक्षित और विकट हालात और भी बदतर होते जा रहे हैं। आईआईटी बीएचयू जैसे बड़े संस्थानों में हुए सामूहिक बलात्कार की भयावहता अभी भी हमारे ज़हन में ताज़ा है। इन अपराधियों ने जो कि बीजेपी आईटी सेल के सदस्य थे, एक बार फिर इन फ़ासीवादी संगठनों के असल बर्बर और महिला विरोधी चेहरे को उजागर किया है। देशभर की आम जनता के साथ-साथ बनारस के रेलवे कर्मचारी भी अन्यायपूर्ण नयी पेंशन योजना (जो कि और कुछ नहीं बल्कि उनकी पेंशन को छीन लेने की योजना है) के ख़िलाफ़ हड़ताल पर हैं। हम देख सकते हैं कि यह सरकार कैसे हर मसलों पर पूरी तरह से विफल रही है और इसने लोगों को धोखा ही देने का काम किया है। ये लोग धन्नासेठों और पूँजीपतियों की जेबें भरने के लिए देश की आम मेहनतकश आबादी को लूट रहे हैं और उनका हक़ छीन रहे हैं। अन्याय के विरुद्ध लड़ने व लोगों को अपने सामूहिक हितों के लिए एकजुट करने के लिए यात्रा हमारे देश के क्रान्तिकारियों का पैग़ाम लेकर शहर से होकर गुज़री। इस दौरान यात्रा कैण्ट काशी विद्यापीठ, सिगरा, रथयात्रा और कमच्छा से होकर निकली।
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दिन के दूसरे सत्र में, यात्री रेलवे कर्मचारियों के धरना स्थल पर पहुँचे, जो ज्वाइण्ट फोरम फॉर रिस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम (जेएफआरओपीएस) और ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन द्वारा देशव्यापी क्रमिक भूख हड़ताल में हिस्सेदारी कर रहे हैं। कर्मचारी नयी पेंशन योजना (2004) का विरोध कर रहे हैं, जो अनिवार्य रूप से उनसे मिलने वाली पेंशन को छीन लेती है। हड़ताल में इसके स्थान पर पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की माँग की गयी है। यात्रियों ने क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत किये और हड़ताली श्रमिकों को संबोधित किया, जिन्होंने यात्रा द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुना और उन पर सहमति व्यक्त की। यात्रियों ने बताया कि कैसे यह एनपीएस सत्ता द्वारा किया जाने वाला निजीकरण, उदारीकरण और ठेकाकरण जनता के दमन का हिस्सा है। मोदी सरकार ने कई नीतियां और कानून लाए हैं जो छात्रों, युवाओं, मज़दूरों और कर्मचारियों के जीवन को बर्बाद कर रहे हैं। यह यात्रा सरकार की ऐसी जनविरोधी नीतियों के खिलाफ, बढ़ती महंगाई के खिलाफ, अप्रत्यक्ष करों के बोझ के खिलाफ, व्यापक भ्रष्टाचार और हिन्दू-मुस्लिम की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ आम जनता को एकजुट करने के सन्देश के साथ पूरे देश में यात्रा कर रही है। यात्रा ने कई हड़ताल स्थलों का दौरा किया है जहाँ कर्मचारी ऐसी नीतियों के खिलाफ लड़ रहे हैं और अपनी एकजुटता व्यक्त की है। हमें अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए, क्योंकि लोगों की ताकत दुनिया को बदल सकती है।
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यही वक्त है जब हम अपने असल मसलों पर एकजुट होकर अपनी माँगों को उठा सकते हैं और मज़हबी बंटवारे की राजनीति को शिकस्त दे सकते हैं। यात्रा के तहत उठायी जा रही माँगों में से कुछ ये हैं — सभी को रोज़गार का अवसर, भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी अधिनियम के तहत पक्का रोज़गार; सभी को निःशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं, धर्म का राजनीति से पूर्ण विलगाव और इसका उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को कठोर सज़ा। इन्हीं माँगों के साथ भगतसिंह जनअधिकार यात्रा पिछले 31 दिनों में 6 राज्यों का सफ़र तय कर चुकी है। आने वाले दिनों में पर्चों, पोस्टरों, पुस्तिकाओं के माध्यम से इन्हीं मसलों और भगतसिंह की इन्कलाबी विरासत को अन्य राज्यों में पहुँचाया जाएगा। यात्रा दिन के अन्तिम पहर में पाण्डेयपुर, भोजुबीर होते हुए गिलट बाजार में जाकर समाप्त हुई।
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भगतसिंह जनअधिकार यात्रा से जुड़े, एक बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष करें!!
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