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25 December, Pune. With each passing day of the Bhagat Singh Jan Adhikar Yatra, the anxiety of the fascist goons is increasing. Yesterday in Pune, when the Yatra reached Taljai, the Sangh Parivar’s pet lumpen goons tried to disturb our program with their fascist sloganeering. They even tried to incite the crowd of onlookers but received no support. As a result of the participants’ revolutionary fervour and the mass support being received by the Yatra, the Sanghi goons continued to avoid a direct confrontation with the Yatra participants. BSJAY volunteers were succesful in completing their planned program and marched ahead with slogans against fascism. For a short while, these lumpen criminal elements kept following the Yatra and shouting fascist slogans in an attempt to incite onlookers. But they ended up retreating quietly when all of their attempts ended in failure.
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It is worth mentioning that yesterday was only the first day of Bhagat Singh Jan Adhikar Yatra in Pune. This only shows how the Fascists are working continuously on turning the entire city into a laboratory for their communal agenda. Throughout the course of the Yatra today, the Sanghi goons kept shouting incendiary slogans even as they avoided coming too close, seeing how the Yatra’s demands resonated with the masses. Around 7-8 Sanghi goons reached our street assembly on their motorcycles and immediately started making phone calls to mobilize more of their lumpen gang. The Yatra volunteers gave a fitting response to Sanghis with their spirited slogans, spoke to the people about the demands of the Yatra and exposed the communal fascist politics of the Sangh Parivar. It is clear that the rhetoric of the Yatra resonated with a large section of the population and this took the wind out of the fascists’ morale.
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Even before this, the Sanghi goons had made a similar attempt at disrupting the Yatra in Hyderabad, where they had received a befitting response from the Yatra volunteers. The Bhagat Singh Jan Adhikar Yatra’s anti-fascist campaign against the communal fascist politics of the BJP and Sangh Parivar is in fact receiving widespread support of the masses. This is real reason behind the increasing anxiety of the fascists with every passing day of the Yatra. But with the militant unity of the masses and our revolutionary spirit, not only will we able to hold our own against fascist goons on the streets but we will also be able to defeat fascism decisively throughout the country.
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संघियो को दिया गया मुॅंहतोड़ ज़वाब!
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भगतसिंह जनअधिकार यात्रा में खलल डालने की संघी साज़िश हुई नाकामयाब!
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जनता की जुझारू जन एकजुटता ज़िन्दाबाद!
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25 दिसम्बर पुणे। भगतसिंह जनअधिकार यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, फ़ासीवादी गुण्डों की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। कल पुणे में जब यात्रा तळजाई पहुंची तो संघ परिवार के पालतू लम्पट गुण्डे सभा में पहुंचकर नारेबाजी करने लगे और सभा में ख़लल डालने की कोशिश करने लगे। उन्होंने आसपास खड़े लोगों को भी अपने पक्ष में करने की कोशिश की लेकिन लोगों की ओर से उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला। यात्रियों के तेवर और जनता द्वारा यात्रा को मिल रहे समर्थन के कारण संघी गुण्डे यात्रियों से सीधे भिड़ने से बचते रहे। यात्रा के साथियों ने अपनी सभा पूरी की और फ़ासीवाद विरोधी नारों के साथ यात्रा को आगे बढ़ाया। कुछ दूर तक यह लम्पट अपराधी तत्व यात्रा के पीछे-पीछे चलते हुए नारेबाजी करते रहे और लोगों को भड़काने की कोशिश करते रहे। लेकिन जब उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली तो वह उल्टे पांव भाग निकले।
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ग़ौरतलब है कि कल पुणे में भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का पहला दिन था। पूरे इलाक़े को फ़ासिस्ट अपनी प्रयोगशाला में तब्दील करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
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कल पूरे दिन भर यात्रा के दौरान संघी गुण्डे जगह-जगह यात्रा के आसपास से भड़काऊ नारे लगाते हुए गुजरते रहे लेकिन यात्रियों के हौसले देखकर वे आसपास फटकने से बचते रहे। शाम के समय उन्होंने यात्रा में योजनाबद्ध से ख़लल डालने की कोशिश की। मोटरसाइकिल पर सवार होके सात-आठ संघी गुण्डे नुक्कड़ सभा में भड़काऊ नारे लगाते हुए पहुंचे और फ़ोन करके आसपास से अन्य लोगों को भी बुलाने लगे। यात्रियों ने भी अपने जोरदार नारों से संघियों का मुंहतोड़ ज़वाब दिया और यात्रा के मुद्दों पर तथा भाजपा और संघ परिवार की साम्प्रदायिक फ़ासीवादी राजनीति पर अपनी बात रखी। ज़ाहिर है की आबादी के बड़े हिस्से ने यात्रियों की बातों का समर्थन किया जिससे संघियों के हौसले और पस्त हुए। बाद में हुए यात्रा के आगे बढ़ने पर यात्रा के पीछे-पीछे कुछ दूर तक नारे लगाते हुए आये लेकिन जनता का समर्थन न मिलने के कारण उल्टे-पांव वापस लौट गये।
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इसके पहले हैदराबाद में भी संघी गुण्डों ने यात्रा में ख़लल डालने की ऐसी ही कोशिश की थी जिसका यात्रियों ने मुँहतोड़ ज़वाब दिया था। वास्तव में भाजपा और संघ परिवार की साम्प्रदायिक फ़ासीवादी राजनीति के खिलाफ भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के रूप में एक प्रभावी फ़ासीवाद विरोधी मुहिम को जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। यही वजह है कि जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ रही है, फ़ासिस्टों की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। लेकिन जनता की जुझारू एकजुटता और अपने हौसलों के दम पर हम इन फासिस्ट गुण्डों को न केवल सड़कों पर मुंहतोड़ ज़वाब देते रहेंगे बल्कि देश स्तर पर फ़ासीवाद को निर्णायक शिकस्त देने में कामयाब रहेंगे।