बलिया, 16 जनवरी, 2024।
भगतसिंह जनअधिकार यात्रा आज 38वें दिन ग़ाज़ीपुर के अलावलपुर अफ़ग़ा गाँव से शुरू हुई। गांव में सभाओं के पश्चात यात्रा यूसुफपुर मुहम्मदाबाद पहुँची। यूसुफपुर मोहम्मदाबाद बाजार में सभाएं करते हुए यात्रा शहीद स्थल पर पहुंची जहां सभा के पश्चात यात्रा बलिया के लिए रवाना हो गयी। यात्रा बलिया के कचहरी, रोडवेज, रेलवे स्टेशन, चित्तू पाण्डेय चौराहा, शहीद पार्क, बिशुनीपुर आदि इलाकों से गुजरी और शाम को यात्रा रसड़ा के लिए रवाना हुई। यह पूरा इलाका मेहनतकशों का है, यहाँ लोग आजीविका के लिए मुख्यतः रेहड़ी-खोमचा, दिहाड़ी मज़दूरी पर निर्भर हैं और एक बड़ी आबादी काम धन्धे की तलाश में बड़े शहरों की तरफ पलायन करती है। यात्रा के दौरान बढ़ती महँगाई और साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ लगने वाले हमारे नारे जैसे ही लोगों तक पहुंचते तो वो रुक जाते हमारी बातें सुनने लगते। यात्रियों से बात करते हुए एक मज़दूर ने बताया कि उनके दो बेटे काम की तलाश में दिल्ली गए एक काम के दौरान घायल हो गया तो मालिक ने बिना मुआवजे के उसे काम से निकाल दिया। महँगाई इतनी है कि दवा इलाज़ कराना भी मुश्किल हो गया है। हमारे बेटे की ज़िन्दगी भगवान भरोसे है। ये मोदी-योगी केवल मन्दिर-मस्जिद कर रहे हैं और हमारे जीवन की मुश्किलें रोज़-ब-रोज़ बढ़ती जा रही हैं।
इसके बाद उन्होंने हमारे प्रयास की सराहना करते हुए 10 रुपये सहयोग भी किया और जाते-जाते बोले कि कउनो ई मोदी-योगी के भगावा, एकरी राज में जीयल मुश्किल हो गईल बा। (कोई मोदी योगी को भगाओ, इसके राज में जीना मुश्किल हो गया है)।
यह स्थिति केवल एक मज़दूर की नहीं है बल्कि यात्रा के दौरान हमारा आम अनुभव रहा है कि पूरे देश में मेहनतकशों की यही स्थिति है। आम मेहनतकश आबादी के बीच यात्रा को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।