भगतसिंह जनअधिकार यात्रा पहुँची मऊ!

भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का 36वाँ दिन!

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मऊ, 14 जनवरी, 2024।

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एक ऐसे दौर में जब पूरे देश में भाजपा और संघ परिवार राम मन्दिर के नाम पर धार्मिक उन्माद भड़काने में लगा हुआ है, गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकालते हुए पूरे देश के माहौल को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है, भगतसिंह जनअधिकार यात्रा इस साम्प्रदायिक फ़ासीवादी राजनीति का पर्दाफाश करते हुए लोगों को उनके असली सवालों को संगठित करने के लिए निकली है।

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आज यात्रा उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में पहुँची। सुबह यात्रा की शुरुआत गाज़ीपुर तिराहा से हुई जो आजमगढ मोड़, सहादतपुरा, रोडवेज, डीसीएसके, बाल निकेतन होते हुए भीटी चौक पहुंची। दिन के दूसरे पहर में यात्रा कम्हरिया से शुरु होकर खीरीबाग, मुग़लपुरा, औरंगाबाद होते मिर्ज़ाहादीपुरा में समाप्त हुई। यात्रा के मुद्दों को हर जगह जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ।

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देश के नौजवान बेरोज़गारी की वजह से चप्पलें फटकारते घूम रहे है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां बेरोज़गारी के हालात बद से बदतर है। मीडिया में भले ही उत्तर प्रदेश के विकास के तमाम आँकड़ों की जुमलेबाजी की जा रही हो, मगर ज़मीनी हक़ीक़त तो यह है कि 60,244 पदों के लिए ‘उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती 2023’ भर्ती पाँच वर्ष बाद आयी है, जिसके लिए अभ्यर्थी उम्र बढ़ाने की माँग भी कर रहे हैं। जगह-जगह पर नौजवान फॉर्म निकलने का इन्तज़ार कर रहे हैं, तो कोई रिजल्ट निकलने या जॉब का लेटर आने का इन्तज़ार कर रहा है। मोदी सरकार ने हर साल 2 करोड़ नौकरियाँ देने का वादा किया था। मगर सरकारी आँकड़े बताते हैं कि 22 करोड़ आवेदन आये जिसमें महज़ 7 लाख नौकरियाँ मिली है। ऊपर से महँगाई का बोझ जनता के ऊपर लाद दिया गया है।

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आज एक तरफ़ भाजपा सरकार बेरोज़गारी, महँगाई, भ्रष्टाचार, शिक्षा, आवास जैसे मुद्दों पर मुँह सिल कर बैठी हुई है, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार जनता के बीच में जाति, धर्म, सम्प्रदाय के नाम पर राजनीति कर रही है। भाजपा द्वारा राम मन्दिर को सरकार नियोजित कार्यक्रम बना दिया गया है। इसके तहत भाजपा जगह-जगह पर शोभा यात्रा निकाल रही है। वैसे सच्चे सेकुलरिज्म के तौर पर सरकार का किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। धर्म सबका निजी मसला होना चाहिए, मगर आज राम मन्दिर के नाम की राजनीति की जा रही है। जनता के बीच में ध्रुवीकरण की राजनीति को तेज़ किया जा रहा है। ताकि 2024 के चुनावों में वोटों की फ़सल काटी जा सके। ऐसे में हमें अपने बुनियादी मुद्दों पर एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।

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‘भगतसिंह जनअधिकार यात्रा’ यही सन्देश लेकर देश के अलग-अलग इलाक़ों में आगे बढ़ रही हैं।

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