BSJAY reaches Bombay, the city that never sleeps..

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“Bombay, a city that never sleeps.” This is what the city is known for and this is what the yatris part of the Bhagat Singh Jan Adhikar Yatra’s who reached Mumbai late last night felt. It had struck midnight yet the streets of Govandi-Mankhurd were abuzz with workers coming back from work across the city. Having toiled for their bosses for more than 12-13 hours, these workers stand for hours in trains and buses to reach their homes, a matchbox with little to no ventilation, water that is hard to come by and air that is polluted by the smoke billowing from the nearby hazardous waste incinerator. Those who make and run this city of dreams, live lives of misery and drudgery. Lallubhai Compound is a reflection of all the problems that plague the working class today.

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These first impressions of the city made the yatris who have gathered in Mumbai take to the streets with renewed vigour and energy to spread the message of the Bhagat Singh Jan Adhikar Yatra. Salma, who resides in Gautam Nagar, where the rally began, stopped by to speak to a volunteer in the yatra and shared her experience of working at a small sweatshop hidden in the gullies nearby. “We work day and night and the maalik makes all the profits, we barely make enough to purchase dal, pulses and oils,” she said in anger.

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Salma is not alone, her rage against this system based on exploitation is echoed by crores of people across the country. She is part of the majority of masses living on the crumbs thrown at them by a handful of capitalists. Bhagat Singh Jan Adhikar Yatra aims to unite people to demand a better life where education, clean air, healthcare, stable well paying and guaranteed employment is our fundamental right. Taking this message forward, the yatra passed through Lumbini Baug, Govandi station, Tata Nagar and culminated at Deonar Circle in the first half.

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In the second half, it passed through Shivaji Nagar, Bainganwadi, Rafik Nagar ending with a public meeting attended by a huge number of people in the area. Here Com. Avinash and Com. Pooja from Revolutionary Worker’s Party of India (RWPI) brought up the local issues of the people: clean streets,toilets, a comfortable home, clean air and also connected it to the general state of the country today. This yatra has received similar support from all the Salmas, Surekhas and Marys who reside in the most squalid settlements in the city. They resonate deeply with the demands of the yatra and have also enthusiastically volunteered to visit the RWPI office participate in its activities.

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Join Salma’s fight. Join the fight to build a better world for all. Join Bhagat Singh Jan Adhikar Yatra.

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Tomorrow we will reach Lalbaug at 9 am. We appeal to all justice loving people to join the yatra in large numbers.

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“मुंबई, एक शहर जे कधीही झोपत नाही.” हे शहर यासाठीच ओळखले जाते आणि काल रात्री उशिरा मुंबईत पोहोचलेल्या भगतसिंह जन अधिकार यात्रेतील यात्रेकरूंना हेच जाणवले. मध्यरात्र झाली होती तरीही गोवंडी-मानखुर्दचे रस्ते कामावरून परतणाऱ्या कामगारांनी गजबजले होते. 12-13 तासांहून अधिक काळ मालकांसाठी कष्ट करून, हे कामगार वेंटिलेशन नसलेल्या, पाण्याची व्यवस्था नसलेल्या, कचरा जाळून निघणाऱ्या विषारी धुराने भरलेल्या त्यांच्या खुराड्यांसारख्या घरी पोहोचण्यासाठी ट्रेन आणि बसमध्ये तासनतास उभे असतात. जे लोक या ‘स्वप्नांच्या शहरा’ला बनवतात आणि चालवतात, तेच दुःख आणि कष्टाचे जीवन जगतात. आज कामगार वर्गाला ग्रासलेल्या सर्व समस्यांचे प्रतिबिंब लल्लूभाई कंपाऊंडमध्ये दिसते.

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हे चित्र पाहिल्यानंतर मुंबईत जमलेले यात्रेकरू भगतसिंह जन अधिकार यात्रेचा संदेश घरोघरी पोहोचण्यासाठी नव्या जोमाने आणि ऊर्जेने रस्त्यावर उतरले. पदयात्रा सुरू झालेल्या गौतम नगरमध्ये राहणारी सलमा यात्रेतील एका स्वयंसेवकाशी बोलण्यासाठी थांबली आणि जवळच्या गल्लीत लपलेल्या एका छोट्या पीस रेट वर्कशॉपमध्ये काम करण्याचा तिचा अनुभव सांगितला. “आम्ही रात्रंदिवस काम करतो आणि मालक सर्व नफा कमावतो. मिळणाऱ्या पैश्यांमध्ये अनेकवेळा आम्ही डाळी, भाज्या आणि तेलसुद्धा खरेदी करू शकत नाही”, ती रागात म्हणाली.

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सलमा एकटी नाही, तर शोषणावर आधारित या व्यवस्थेविरुद्धचा तिचा संताप देशभरातील कोट्यवधी लोकांच्या मनात आहे. मुठभर भांडवलदारांनी फेकलेल्या तुकड्यांवर जगणाऱ्या बहुसंख्य जनतेचा ती एक भाग आहे. भगतसिंह जन अधिकार यात्रेचे उद्दिष्ट जनतेला एका चांगल्या जीवनाच्या मागणीसाठी एकत्र आणणे आहे ज्यात शिक्षण, शुद्ध हवा, आरोग्यसेवा, रोजगाराची हमी आणि स्थिर व चांगले वेतन हा आपला मूलभूत अधिकार असेल. हा संदेश पुढे नेत ही यात्रा लुंबिनी बाग, गोवंडी स्टेशन, टाटा नगर मार्गे देवनार सर्कल येथे संपली.

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दुपारी दुसऱ्या सत्रात शिवाजी नगर, बैंगणवाडी, रफिक नगर या मार्गाने पदयात्रा गेली आणि मोठ्या जन समुदायाच्या उपस्थितीत जाहीर सभेने आजच्या पदयात्रेचे समापन झाले. भारताच्या क्रांतिकारी कामगार पक्षाचे (RWPI) कॉ. अविनाश आणि कॉ पूजाने लोकांच्या स्थानिक समस्या मांडल्या: स्वच्छ रस्ते, स्वच्छतागृहे, आरामदायी घर, स्वच्छ हवा यांचा अभाव आणि त्याला आज देशातील व्यापक कामगार कष्टकरी जनतेच्या स्थितीशी जोडले. या यात्रेला शहरातील अत्यंत वाईट वस्त्यांमध्ये राहणार्‍या सर्व सलमा, सुरेखा आणि मरीयांचा असाच पाठिंबा मिळाला. यात्रेच्या मागण्यांशी त्यांनी स्वतःला जोडून घेतले आणि त्यांनी उत्साहाने RWPI कार्यालयाला भेट देऊन विविध अभियानांमध्ये सहभागी होण्याची तयारी दर्शविली.

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सलमाच्या लढ्यात सामील व्हा. सर्वांसाठी एक चांगले जग तयार करण्याच्या लढ्यात सामील व्हा. भगतसिंग जन अधिकार यात्रेत सहभागी व्हा.

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उद्या सकाळी 9 वाजता आम्ही लालबागला पोहोचू. या पदयात्रेत सर्व न्यायप्रिय जनतेने व तरुणांनी मोठ्या संख्येने सहभागी व्हावे असे आवाहन आम्ही करत आहोत.

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“वो शहर जो कभी नहीं सोता” — मुम्बई को इसी ख़िताब से नवाज़ा जाता है और यही भगतसिंह जनअधिकार यात्रा में शामिल यात्रियों को कल देर रात मुम्बई में दाख़िल होते हुए महसूस हुआ। आधी रात बीत जाने के बावजूद गोवण्डी – मानखुर्द की सड़कें और गालियां शहर भर से काम से लौट रहे मज़दूरों से गुलज़ार थीं। दिन भर के 12 – 13 घण्टे हाड़तोड़ मेहनत के बाद मज़दूर घण्टों ट्रेन और बसों में सफ़र कर अपने रिहाइश तक पहुंचते हैं — माचिस की डिब्बियों से बन्द कमरे जहाँ पानी की क़िल्लत है और फ़िज़ाओं में घुला है वेस्ट प्लांट का ज़हर! सपनों के इस शहर को बनाने और चलाने वाले ख़ुद सुकून की नींद से महरूम हैं। लल्लूभाई कम्पाउण्ड में देश भर के मज़दूरों के हालातों का ‘अक्स बाआसानी नज़र आ जाता है।

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मुम्बई की नक़्श से रूबरू यात्रियों ने बुलन्द हौसलों और हिम्मत के साथ भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के पैग़ाम को जनता तक पहुंचाने का इरादा कर लिया। यात्रा के दौरान मिलीं गौतम नगर की सलमा ने अपने काम के तज़ुर्बे हमसे साझा किए। सलमा पास की गली में एक वर्कशॉप में पीस रेट पर काम कर अपना गुज़ारा करती हैं। सलमा ने कहा “दिन रात खटने के बावजूद हम बमुश्किल आटा, दाल, तेल जैसी बुनियादी चीज़ों का इन्तज़ाम कर पाते हैं जबकि मालिक हमारी मेहनत से मुनाफा ले जाता है।

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सलमा कोई अकेली नहीं हैं; इस निज़ाम के खिलाफ़ यह गुस्सा करोड़ों शोषितों के ज़हन में है। सलमा उन बहुसंख्यक कमेरों में शामिल हैं जो पूंजीपतियों के फेंके हुए टुकड़ों पर पलने को मजबूर हैं। भगतसिंह जनअधिकार यात्रा इसी इरादे से अवाम को एकजुट कर रही है कि सभी को आसूदगी की ज़िन्दगी मयस्सर हो, सबको बेहतर और निःशुल्क शिक्षा, साफ़ हवा, स्वास्थ्य सुविधा, पक्के रोज़गार का हक़ हासिल हो। इसी पैग़ाम के साथ आज यात्रा का पहला सत्र मुम्बई के लुम्बिनी बाग, गोवण्डी स्टेशन, टाटा नगर से होकर देवनार सर्किल पर खत्म हुआ।

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यात्रा दूसरे सत्र में शिवाजी नगर, बैंगनवाड़ी और रफिक नगर पहुंची जहां सभा के रूप में आज के दिन का समापन हुआ। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी की ओर से सभा में बात रखते हुए पूजा और अविनाश ने इलाक़े की सफ़ाई, आवास, साफ़ हवा के मुद्दों को उजागर करते हुए उन्हें देश की आम स्थिति से जोड़ा। इस कारवां को इन गन्दी बस्तियों में बसी कई सलमा, सुरेखा और मेरी का समर्थन है। उन्होंने न केवल यात्रा की मांगों का समर्थन किया बल्कि भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी के ऑफ़िस और गतिविधियों में शामिल होने का भी वायदा किया।

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सलमा के संघर्ष का हिस्सा बनो! एक बेहतर मुस्तकबिल के लिए संघर्ष का हिस्सा बनो!! भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का हिस्सा बनो!!!

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कल यात्रा का पहला सत्र लालबाग में सुबह 9 बजे शुरू होगा। हम तमाम इंसाफ़पसन्द लोगों से अपील करते हैं कि इस यात्रा में बड़ी संख्या में शामिल हों!

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